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नज़्म
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
मज़ाक़-ए-आम सर्फ़-ए-कम-निगाही है तो रहने दो
दिल-ए-शाइ'र की आँखों में अभी तनवीर बाक़ी है
राम प्रकाश राही
नज़्म
कि ना-रसाई के ख़िश्त-ख़ानों की चिमनियों से निकलने वाले
हुरूफ़-ए-पसपा के सब धुएँ सर्फ़-ए-राएगाँ हैं