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नज़्म
कौन हूँ क्या हूँ मैं सद-हैफ़ न समझा असलन
नक़्श मिट-मिट के बना ज़ेहन पे बन-बन के मिटा
ख्वाजा मंज़र हसन मंज़र
नज़्म
गंगा दरिया की लहरों की रानाई का क्या कहना
कैसा प्यारा प्यारा है इस का बल खा-खा कर कहना
मोहम्मद शफ़ीउद्दीन नय्यर
नज़्म
मुसलमाँ क़र्ज़ ले कर ईद का सामाँ ख़रीदेंगे
जो दाना हैं वो बेचेंगे जो हैं नादाँ ख़रीदेंगे
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ऐ क़लम क्या कहूँ मैं सेहर-बयानी तेरी
हाल-ए-दिल अपना सुनाता हूँ ज़बानी तेरी
मास्टर बासित बिस्वानी
नज़्म
ऐ ख़ाक-ए-हिंद तेरी 'अज़्मत में क्या गुमाँ है
दरिया-ए-फ़ैज़-ए-क़ुदरत तेरे लिए रवाँ है
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
ये हर शब सोच कर सोता हूँ आने वाली सुब्हों में
गुलों से पत्तियों से ओस की बूँदें चुरानी हैं