aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सहरा-ज़ादों"
न सहरा-ज़ादों के नस्ली का ही उन की गिर्द-ए-ख़बर को पहुँचेहरीम-ए-महमिल में वो अमानत का पासबाँ हूँ
मैं सहरा-ज़ाद हूँ जानाँ
ऐ बहार-ए-गंग ऐ भारत-नवाज़तेरी हस्ती पर है इक आलम को नाज़
किस ने दरवाज़ा खटखटाया हैजा के देखूँ तो कौन आया है
नग़्मा-दर-जाँ रक़्स बरपा ख़ंदा-बर-लबदिल तमन्नाओं के बे-पायाँ अलाव के क़रीब
बहुत दिन हुएदेवताओं की इक महफ़िल-ए-रंग-ओ-मस्ती में
ऐ वतन पाक वतन रूह-ए-रवान-ए-अहरारऐ कि ज़र्रों में तिरे बू-ए-चमन रंग-ए-बहार
आसमाँ बादल का पहने ख़िरक़ा-ए-देरीना हैकुछ मुकद्दर सा जबीन-ए-माह का आईना है
उतरती रात के ज़ीने से लग कर सोचता हूँसुब्ह जब होगी
फ़ितरत का हुस्न-ए-सहर-ख़ेज़उस के राज़-ए-बे-कराँ बे-पनाह
चमन-ज़ारों को सहरा कर दिया हैये किस ने मस्ख़ चेहरा कर दिया है
सच्चे ख़्वाब और झूटी आँखेंअंधे रस्तों की हमराही
इक चुल्लू के देने में ये तकरारउठो जागो सहर हुई यार
मैं हर दौर में जन्माबातें हर युग की
मैं उस दिन की रौशन औरसफ़्फ़ाक सहर के साहिल पर
खो गया है तू किन नज़ारों मेंमैं ने ढूँडा तुझे बहारों में
गुज़र रहे हैं मिरी ज़िंदगी के शाम ओ सहरगिनूँगा बैठा हुआ दाना दाना हर साअत
इक मुअल्लक़ ख़ला में कहीं ना-गहाँमेहरबाँ फ़र्श पर पाँव मेरा पड़ा
साए की ख़ामोशी सिर्फ़ ज़मीन सहती हैखोखला पेड़ नहीं या खोखली हँसी नहीं
पागल आँखों वाली लड़कीइतने महँगे ख़्वाब न देखो
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