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नज़्म
ख़ालिद अहमद
नज़्म
आज भी साज़ से मिरे गर्मी-ए-बज़्म-ए-सर-कशी
आज भी आतिश-ए-सुख़न शो'ला-फ़िशाँ शरर-फ़िशाँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
इक तमाशे की तरह वक़्त पे उर्यां होते
अपनी ख़्वाहिश को सर-ए-बज़्म न रुस्वा करते