aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सूरत-ए-हाल"
अब तू ही बता क्या करेंकितनी मुश्किल सूरत-ए-हाल है
जब सूरत-ए-हाल समझता नहींउसे रह रह कर समझाना क्या
फिर भी मैं इस सूरत-ए-हाल कोवाज़ेह तौर पर समझना चाहता हूँ
सूरत-ए-हाल इस क़दर मायूस-कुन भी नहींजब इंसाफ़-गाहों के अनगिनत
मेरी तन्हाई के आरिज़ पे शफ़क़ फूटेगीमैं ने सोचा था कि इस बार ब-ईं सूरत-ए-हाल
झाँकता सूरत-ए-ख़ैल-ए-आवारगाँग़ुर्फ़ा ग़ुर्फ़ा बहर काख़-ओ-कू शहर में
रमना दिल-ए-'इंशा' का अब तेरा ठिकाना होअब कोई भी सूरत हो अब कोई बहाना हो
ये शख़्स यहाँ पामाल रहा, पामाल गयातिरी चाह में देखा हम ने ब-हाल-ए-ख़राब इसे
सूरत-ए-हाल है ख़बर पाईऔर अपना बुरा भला देखा
हमारे पाँव की ये बेड़ियाँ ये ज़ंजीरेंकभी तो मोम की सूरत पिघल ही जाएँगी
ख़ुद-गुदाज़ी नम-ए-कैफ़ियत-ए-सहबा-यश बूदख़ाली-अज़-ख़ेश शुदन सूरत-ए-मीना-यश बूद
चंद यादों की सदा सासूरत-ए-हर्फ़-ओ-नवा सा
सूरत-ए-ख़ाशाक-ओ-ख़सपारा-पारा जिस से हो जाएँ ये फ़ील
शहर-ए-ना-वाक़िफ़-ए-हाल में आ गएपंछियों की तरह जाल में आ गए
सूरत-ए-दो-दिसा ये गुरेज़ाँनीली तारीकियों से शगुफ़्ता
वो जवाँ-क़ामत में है जो सूरत-ए-सर्व-ए-बुलंदतेरी ख़िदमत से हुआ जो मुझ से बढ़ कर बहरा-मंद
सूरत-ए-बू-ए-गुल परेशाँ हूँआ तुझे याद कर रही हूँ मैं
क़त्ल-गाह की रौनक़हस्ब-ए-हाल रखनी है
कुर्सियों की लम्बी क़तार लगी हैइज़राईल सूरत-ए-इंतिज़ार-ए-दाइम नहीफ़ रूहों पर
वो सराब-ज़ादा सराब-गर कि हज़ार सूरत-ए-नौ-ब-नौमें क़दम क़दम पे सितादा है
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