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नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
बराहीमी नज़र पैदा मगर मुश्किल से होती है
हवस छुप छुप के सीनों में बना लेती है तस्वीरें
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
उस जान-ए-जहाँ को भी यूँही क़ल्ब-ओ-नज़र ने
हँस हँस के सदा दी कभी रो रो के पुकारा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
हवस बाला-ए-मिम्बर है तुझे रंगीं-बयानी की
नसीहत भी तिरी सूरत है इक अफ़्साना-ख़्वानी की
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हवस-कारी है जुर्म-ए-ख़ुद-कुशी मेरी शरीअ'त में
ये हद्द-ए-आख़िरी है मैं यहाँ तक जा नहीं सकता
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
वो मेरी जुरअतों पर बे-नियाज़ी की सज़ा देना
हवस की ज़ुल्मतों पर नाज़ की बिजली गिरा देना
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अजब नहीं मिरे लफ़्ज़ मुझ को मुआ'फ़ कर दें
हवा-ओ-हिर्स-ओ-हवस की सब गर्द साफ़ कर दें
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
ये हवस ये चोर बाज़ारी ये महँगाई ये भाव
राई की क़ीमत हो जब पर्बत तो क्यूँ न आए ताव