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नज़्म
वो हिकमत नाज़ था जिस पर ख़िरद-मंदान-ए-मग़रिब को
हवस के पंजा-ए-ख़ूनीं में तेग़-ए-कार-ज़ारी है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हिम्मत-ए-आली तो दरिया भी नहीं करती क़ुबूल
ग़ुंचा साँ ग़ाफ़िल तिरे दामन में शबनम कब तलक
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
इल्म ओ हिकमत रहज़न-ए-सामान-ए-अश्क-ओ-आह है
या'नी इक अल्मास का टुकड़ा दिल-ए-आगाह है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
वो बातें इल्म-ओ-हिकमत की कभी शिकवे-शिकायत की
तुम्हें तो याद होगा उन में ही इक दोस्त शाइर था
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
अकबर इलाहाबादी
नज़्म
वो बगूले वो तूफ़ाँ वो महशर बपा था
कि मैं वो कि जिस के तहम्मुल की हिकमत की
सोहैब मुग़ीरा सिद्दीक़ी
नज़्म
अब रस्म-ए-सितम हिकमत-ए-ख़ासान-ए-ज़मीं है
ताईद-ए-सितम मस्लहत-ए-मुफ़्ती-ए-दीं है