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नज़्म
फिर जुनूँ-ख़ेज़ी की शिद्दत में कमी आती है
हैरत-ए-इश्क़ की गुम-नाम मुसाफ़िर हूँ मुझे
तसनीम आबिदी
नज़्म
शरारत का ये नज़्ज़ारा मिरी हैरत का सामाँ था
कि इस पर्दा के अंदर तेरा राज़-ए-इश्क़ उर्यां था
अख़्तर शीरानी
नज़्म
यूँ फ़ज़ाओं में रवाँ है ये सदा-ए-दिल-नशीं
ज़ेहन-ए-शाइर में हो जैसे इक अछूता सा ख़याल
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
अजब हैरत-फ़ज़ा नज़्ज़ारा है दरबार-ए-क़ातिल का
लिए सर हाथ में हर इक पय-ए-नज़राना आता है
नूर लुधियानवी
नज़्म
दरीं हसरत सरा उमरीस्त अफ़्सून-ए-जरस दारम
ज़ फ़ैज़-ए-दिल तपीदन-हा ख़रोश-ए-बे-नफ़स दारम
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ऐ दिल-ए-बेताब तुझ में है सिफ़त सीमाब की
तेरे क़तरों में हैं कुछ बूँदें शराब-ए-नाब की
साक़िब कानपुरी
नज़्म
ऐ दिल-ए-बेताब तुझ में है सिफ़त सीमाब की
तेरे क़तरों में हैं कुछ बूँदें शराब-ए-नाब की
साक़िब कानपुरी
नज़्म
मैं मस्जिद-ए-अहमरीं के दामन पे सब्त पत्थर
नवाह-ए-हैरत-कदा तिलिस्मात-ए-आफ़ियत था