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नज़्म
अस्ल जो इबारत हो पस नविश्त हो जाए
फ़स्ल-ए-गुल के आख़िर में फूल उन के खुलते हैं
अमजद इस्लाम अमजद
नज़्म
वो चाहे तो हर इक चीज़ को उस के अस्ल में ला सकती है
सिर्फ़ उसी के हाथों से दुनिया तरतीब में आ सकती है
तहज़ीब हाफ़ी
नज़्म
अकबर इलाहाबादी
नज़्म
दिल, नज़र, ज़ेहन, ख़यालात, उसूल ओ अक़दार
सब के सब इस की तग-ओ-ताज़ से लर्ज़ां तरसाँ
आमिर उस्मानी
नज़्म
यज़ीदियत के उसूल अपने उरूज पर हैं
बड़ी ही ज़ालिम है हक़-पसंदी को चैन लेने न दे ये दुनिया