आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".doi"
नज़्म के संबंधित परिणाम ".doi"
नज़्म
बहू कहे जिस के हाथों है डोई उसी का सब कोई है
सास पुकारे जाओ जी जाओ पाँव की जूती सर पे चढ़ी है
मीराजी
नज़्म
अगर शाइ'र कहें बे-क़ाफ़िया है लफ़्ज़-ए-बहनोई
मिरे बहनोई सर पर शाइ'रों के मारना डोई
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
तू ने देखी है वो पेशानी वो रुख़्सार वो होंट
ज़िंदगी जिन के तसव्वुर में लुटा दी हम ने
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
गुल करो शमएँ बढ़ा दो मय ओ मीना ओ अयाग़
अपने बे-ख़्वाब किवाड़ों को मुक़फ़्फ़ल कर लो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मैं पल दो पल का शा'इर हूँ पल दो पल मिरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है पल दो पल मिरी जवानी है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
एक दो का ज़िक्र क्या सारे के सारे नोच लूँ
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
सिधारत भी था शर्मिंदा कि दो-आबे का बासी था
तुम्हें मालूम है उर्दू जो है पाली से निकली है