aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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मेहंदी लगाए सूरज जब शाम की दुल्हन कोसुर्ख़ी लिए सुनहरी हर फूल की क़बा हो
मैं ने अंदाज़े लगाए कि सबब क्या होगापर मिरे तीर तराज़ू भी नहीं होते थे
शीशों का मसीहा कोई नहींक्या आस लगाए बैठे हो
जिन को इक उम्र कलेजे से लगाए रक्खादीन जिन को जिन्हें ईमान बनाए रक्खा
फूल फल लगाएकि लोगो मैं ने
इस इश्क़-ए-ख़ास को हर एक से छुपाए हुए''गुज़र गया है ज़माना गले लगाए हुए''
सर पे अपने जूड़ा बाँधेमाँझी की उम्मीद लगाए
अपने सीने से लगाए हुए उम्मीद की लाशमुद्दतों ज़ीस्त को नाशाद किया है मैं ने
शेक्सपियर के ड्रामों से चुन चुन कर उस ने ठुमके लगाएमुझे तन्हा देख कर
दीवाली की रात आई है तुम दीप जलाए बैठी होमासूम उमंगों को अपने सीने से लगाए बैठी हो
मैं तिरी याद को सीने से लगाए गुज़राअजनबी शहर की मशग़ूल गुज़र गाहों से
एक सदा पर कान लगाएधड़कन साँसें गिनने वालो
तू ही दिलों में आग लगाएतू ही दिलों की लगी बुझाए
कोढ़ियों पर आस्तीं कब से चढ़ाए हैं हुज़ूरकोढ़ को लेकिन कलेजे से लगाए हैं हुज़ूर
ख़ुश्क था बिन तेरे दरख़्त-ए-अमलतू ने लगाए हैं ये सब फूल फल
अपने बच्चों के लड़कपन को कलेजे से लगाएअपने खिलते हुए मासूम शगूफ़ों के लिए
बे-ख़ौफ़ गाए जाओ ''हिन्दोस्ताँ हमारा''और ''वंदे-मातरम'' के नारे लगाए जाओ
हलवे के लिए फिर आज भी हम इक आस लगाए बैठे हैंजो बात ज़बाँ पर ला न सके वो दिल में छुपाए बैठे हैं
सर लगाए इस्तादाआने वाले गाहक के
एक चिता की राख हवा के झोंकों में खो जाएशाम को उस का कम-सिन बाला बैठा पान लगाए
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