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नज़्म
रास्ते में रुक के दम ले लूँ मिरी आदत नहीं
लौट कर वापस चला जाऊँ मिरी फ़ितरत नहीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
सोचता हूँ कि तुझे मिल के मैं जिस सोच में हूँ
पहले उस सोच का मक़्सूम समझ लूँ तो कहूँ
साहिर लुधियानवी
नज़्म
उड़ा ली क़ुमरियों ने तूतियों ने अंदलीबों ने
चमन वालों ने मिल कर लूट ली तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ मेरी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जो मरहलों में साथ थे वो मंज़िलों पे छुट गए
जो रात में लुटे न थे वो दोपहर में लुट गए
आमिर उस्मानी
नज़्म
मैं साँस लूँ भी तो कैसे कि मेरी साँसों में
तुम्हारी डूबती साँसों के तीर चुभते हैं
ज़ुबैर अली ताबिश
नज़्म
मज़हब-ए-इश्क़ में जाएज़ है यक़ीनन जाएज़
चूम लूँ मैं लब-ए-लालीं भी अगर आज की रात