आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".ova"
नज़्म के संबंधित परिणाम ".ova"
नज़्म
तो अगले जनम में किसी मोड़ पर फिर मिलेंगे
ये आवा-गवन के हसीं सिलसिले तो अबद तक रहेंगे
कैलाश माहिर
नज़्म
थी फ़रिश्तों को भी हैरत कि ये आवाज़ है क्या
अर्श वालों पे भी खुलता नहीं ये राज़ है क्या
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जी में आता है कि अब अहद-ए-वफ़ा भी तोड़ दूँ
उन को पा सकता हूँ मैं ये आसरा भी तोड़ दूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
दश्त-ए-तन्हाई में ऐ जान-ए-जहाँ लर्ज़ां हैं
तेरी आवाज़ के साए तिरे होंटों के सराब