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नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
तेरे क़ब्ज़े में है गर्दूं तिरी ठोकर में ज़मीं
हाँ उठा जल्द उठा पा-ए-मुक़द्दर से जबीं
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
जब धरती करवट बदलेगी जब क़ैद से क़ैदी छूटेंगे
जब पाप घरौंदे फूटेंगे जब ज़ुल्म के बंधन टूटेंगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
ख़ाक-ए-सहरा पे जमे या कफ़-ए-क़ातिल पे जमे
फ़र्क़-ए-इंसाफ़ पे या पा-ए-सलासिल पे जमे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जिस के पर्दों में नहीं ग़ैर-अज़-नवा-ए-क़ैसरी
देव-ए-इस्तिब्दाद जम्हूरी क़बा में पा-ए-कूब
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मिरे चेहरे पे जब भी फ़िक्र के आसार पाए हैं
मुझे तस्कीन दी है मेरे अंदेशे मिटाए हैं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
हर आह है ख़ुद तासीर यहाँ हर ख़्वाब है ख़ुद ताबीर यहाँ
तदबीर के पा-ए-संगीं पर झुक जाती है तक़दीर यहाँ