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नज़्म
ख़ुदा अलीगढ़ के मदरसे को तमाम अमराज़ से शिफ़ा दे
भरे हुए हैं रईस-ज़ादे अमीर-ज़ादे शरीफ़-ज़ादे
अकबर इलाहाबादी
नज़्म
स्वराज का झंडा भारत में गड़वा दिया गाँधी बाबा ने
दिल क़ौम-ओ-वतन के दुश्मन का दहला दिया गाँधी बाबा ने
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
गिरी है बर्क़-ए-तपाँ दिल पे ये ख़बर सुन कर
चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
इक प्रेम पुजारी आया है चरनों में ध्यान लगाने को
भगवान तुम्हारी मूरत पर श्रधा के फूल चढ़ाने को
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
राम के हिज्र में इक रोज़ भरत ने ये कहा
क़ल्ब-ए-मुज़्तर को शब-ओ-रोज़ नहीं चैन ज़रा
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
मुझ से मिलने के लिए आते हैं मुल्कों के रईस
रात दिन लेकिन नज़र में मुझ को रखती है पुलिस