aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "Darama"
इस तरह टेलीविज़न का हर ड्रामा हो गयाजैसे लाज़िम शेरवानी पर पजामा हो गया
ऊँची छतों के तले खेले जाते डरामा का मंज़र हैये उस ज़ुल्म का इस्तिआरा है
यहाँ डरामा तो छोटा सा खेल कर देखोकि मेक-अपों की तहों में गड़े हुए चेहरे
चाक इस बुलबुल-ए-तन्हा की नवा से दिल होंजागने वाले इसी बाँग-ए-दरा से दिल हों
क़ाफ़िला हो न सकेगा कभी वीराँ तेराग़ैर यक-बाँग-ए-दारा कुछ नहीं सामाँ तेरा
खुलने लगे क़ुफ़्लों के दहानेफैला हर इक ज़ंजीर का दामन
हाँ दिल का दामन फैला हैक्यूँ गोरी का दिल मैला है
आदमी के दामन से ज़िंदगी है वाबस्ताउस से तुम नहीं डरते
चले जो यार तो दामन पे कितने हाथ पड़ेदयार-ए-हुस्न की बे-सब्र ख़्वाब-गाहों से
अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा
मरता हूँ ख़ामुशी पर ये आरज़ू है मेरीदामन में कोह के इक छोटा सा झोंपड़ा हो
इक ज़रा हाथ बढ़ा दें तो पकड़ लें दामनउन के सीने में समा जाए हमारी धड़कन
कुछ पुर्ज़े अपने दामन केये तारे कुछ थर्राए हुए
ये अहल-ए-हश्म ये दारा-ओ-जम सब नक़्श बर-आब हैं ऐ हमदममिट जाएँगे सब पर्वर्दा-ए-शब ऐ अहल-ए-वफ़ा रह जाएँगे हम
नशीली आँखें, रसीली चितवन, दराज़ पलकें, महीन अबरूतमाम शोख़ी, तमाम बिजली, तमाम मस्ती, तमाम जादू
जो काँटे हूँ सब अपने दामन में रख लूँसजाऊँ मैं कलियों से राहें तुम्हारी
हुआ ख़ेमा-ज़न कारवान-ए-बहारइरम बन गया दामन-ए-कोह-सार
'इक़बाल' का तराना बाँग-ए-दरा है गोयाहोता है जादा-पैमा फिर कारवाँ हमारा
तू किसी और के दामन की कली है लेकिनमेरी रातें तिरी ख़ुश्बू से बसी रहती हैं
तुर्कों का जिस ने दामन हीरों से भर दिया थामेरा वतन वही है मेरा वतन वही है
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