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नज़्म
हाँ बेच दे अपनी जुरअत को आ जाएगी चेहरे पर सुर्ख़ी
हाँ बेच क़लम की ताक़त को वर्ना ये तुझे ले डूबेगी
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
बहुत दुख देगी तुम में फ़िक्र और फ़न की नुमू मुझ को
तुम्हारे वास्ते बेहद सहूलत चाहता हूँ मैं
जौन एलिया
नज़्म
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
झाड़ियाँ जिन के क़फ़स में क़ैद है आह-ए-ख़िज़ाँ
सब्ज़ कर देगी उन्हें बाद-ए-बहार-ए-जावेदाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मैं ख़ुश हूँ फूँक दे कोई इस तख़्त-ओ-ताज को
तुम ही नहीं तो आग लगा दूँगी राज को
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
दबेगी कब तलक आवाज़-ए-आदम हम भी देखेंगे
रुकेंगे कब तलक जज़्बात-ए-बरहम हम भी देखेंगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
तिरी बे-मेहरियों पर जान देगी आख़िरश कब तक
तिरी आवाज़ में सोई हुई शीरीनियाँ आख़िर