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नज़्म
मख़मूर सईदी
नज़्म
किसी को दर्द में देखे तो दिल में दर्द पैदा हो
किसी मजबूरी-ए-हालत पे आह-ए-सर्द पैदा हो
नारायण दास पूरी
नज़्म
तो है अक्कास-ए-अज़ल फ़ितरत में तेरी दर्द है
गो ब-ज़ाहिर ख़ुश है लेकिन लब पे आह-ए-सर्द है
साक़िब कानपुरी
नज़्म
होंटों पे आह-ए-सर्द जबीं पर ग़ुबार-ए-राह
हैं इस ज़मीं पे ख़ाक-बसर कितने मेहर-ओ-माह