aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aivaan-e-be-dar"
हैं इसी ऐवान-ए-बे-दर में यक़ीनन रहनुमाआ के क्यूँ दीवार तक नक़्श-ए-क़दम गुम हो गए
दिल ज़िंदा-ओ-बे-दार अगर हो तो ब-तदरीजबंदे को 'अता करते हैं चश्म-ए-निगराँ और
कैसी आवाज़ हैकोई कहता है
के शुऊरी लम्हा-ए-बे-दार तक!
ये बख़्त-ए-बे-दार सो न जाएतुम आसमाँ की तरफ़ न देखो
जागते ख़्वाब की ताबीर मुक़द्दर ठहरीज़िंदगी मेरे लिए गुम्बद-ए-बे-दर ठहरी
नुत्क़-ए-ख़ामोश को लफ़्ज़ख़्वाब-ए-बे-दर को मकाँ
इक हश्र बपा है घर में दम घुटता है गुम्बद-ए-बे-दर मेंइक शख़्स के हाथों मुद्दत से रुस्वा है वतन दुनिया-भर में
चैन की नींद न आराम का पहलू माँगाबख़्त-ए-बे-दार न तक़दीर-ए-रसा माँगी है
ख़बर-दार ऐ बे-ख़बर ना-ख़ुदाओबला का भँवर है ग़ज़ब का बहाओ
वतन वालो बहुत ग़ाफ़िल रहे अब होश में आओउठो बे-दार हो अक़्ल-ओ-ख़िरद को काम में लाओ
शाख़-दर-शाख़महकते हुए
राहत-ए-बंदा-ए-बे-दाम कहाँ है आ जापैकर-हुस्न सर-ए-बाम कहाँ है आ जा
ऐ शहर-ए-बे-मिसाल तिरे बाम-ओ-दर की ख़ैरऐ हुस्न-ए-ला-ज़वाल तिरे बाम-ओ-दर की ख़ैर
वो सितम-ईजाद है वो बानी-ए-बे-दाद हैहसरतों का ख़ून करता है बड़ा जल्लाद है
बे-दर-ओ-दीवार क़फ़स मेंतिलमिला उठता हूँ मैं
और मिरे शहर-ए-तिलिस्मात की बे-दर आँखेंमिरी बे-दर मिरी बंजर मिरी पत्थर आँखें
दिल सुलग उठता है अपने बाम-ओ-दर को देख करफैलने लगती हैं जब भी शाम की परछाइयाँ
बे-दर-ओ-दीवार रौज़न और बेनाम-ओ-निशाँशक्ल और शीशे की आराइश का मंज़र भी नहीं
करारी हड्डियाँ मेला मसाले-दारपकती खिचड़ियाँ ऐवान-ए-बाला में
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