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नज़्म
मगर लबों पे नग़्मा-ए-हयात शाद-काम है
रहीन-ए-आरिज़-ए-हसीं असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-मुश्कबू!
मोहसिन भोपाली
नज़्म
ब-वक़्त-ए-सुब्ह मुझ को रौशनी ने ये हिदायत दी
कि तुम को वक़्त का बाज़ू पकड़ के साथ चलना है
प्रणव मिश्र तेजस
नज़्म
बताऊँ क्या जो रंग-ए-गर्दिश-ए-अय्याम है साक़ी
जहाँ का ज़र्रा-ज़र्रा कुश्ता-ए-आलाम है साक़ी
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
वतन की अंजुमन में शम' बन के रौशनी दी है
पिघल कर क़ौम को मैं ने बड़ी आसूदगी दी है
बनो ताहिरा सईद
नज़्म
दिल मसर्रत की फ़रावानी से दीवाना है आज
देखना ये कौन आख़िर ज़ेब-ए-काशाना है आज