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सिपाही की शरीक-ए-ज़िंदगी

बनो ताहिरा सईद

सिपाही की शरीक-ए-ज़िंदगी

बनो ताहिरा सईद

MORE BYबनो ताहिरा सईद

    वतन की अंजुमन में शम' बन के रौशनी दी है

    पिघल कर क़ौम को मैं ने बड़ी आसूदगी दी है

    मिरे ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ ने मुल्क के दिल को ख़ुशी दी है

    ख़ुदा ने मुझ को हिम्मत मुस्कुराहट सादगी दी है

    शरीक-ए-ज़िंदगी हूँ देश भारत के सिपाही की

    मैं दीगर 'औरतों की तरह शिकवे कर नहीं सकती

    ज़माने की शिकायत नाज़ नख़रे कर नहीं सकती

    गुज़रती जो भी है दिल पर मैं चर्चे कर नहीं सकती

    हज़ारों मुश्किलें सह कर भी शिकवे कर नहीं सकती

    शरीक-ए-ज़िंदगी हूँ देश भारत के सिपाही की

    मुझे महसूस होता है कि मैं भारत की 'अज़्मत हूँ

    वतन की आबरू हूँ आन हूँ शौकत हूँ ताक़त हूँ

    मुजस्सम मशरिक़ी 'औरत हूँ तफ़्सीर-ए-मोहब्बत हूँ

    मैं हूँ ससुराल की 'इज़्ज़त मैं मैके की शराफ़त हूँ

    शरीक-ए-ज़िंदगी हूँ देश भारत के सिपाही की

    फ़राएज़ की बिना पर वो बहुत मजबूर रहते हैं

    रफ़ीक़-ए-ज़िंदगी हो कर भी अक्सर दूर रहते हैं

    हम उन की नेक-नामी पर मगर मग़रूर रहते हैं

    ग़म-ए-फ़ुर्क़त है लेकिन फिर भी हम मसरूर रहते हैं

    शरीक-ए-ज़िंदगी हूँ देश भारत के सिपाही की

    भरोसा है ख़ुदा पर मुझ को ख़ुद हूँ पासबाँ अपनी

    मैं ख़ुद बाँग-ए-जरस ख़ुद ही अमीर-ए-कारवाँ अपनी

    शु’ऊर-ए-पुख़्ता मश'अल रहनुमा फ़िक्र-ए-जवाँ अपनी

    मैं तन्हाई की ख़ूगर हूँ ख़मोशी दास्ताँ अपनी

    शरीक-ए-ज़िंदगी हूँ देश भारत के सिपाही की

    वतन की सरहदों पर मैं जमाए हूँ निगाहों को

    हिफ़ाज़त जिन की सौंपी जा चुकी है सूरमाओं को

    ख़ुदा से इल्तिजा है सुन ले वो मेरी दु'आओं को

    सिपाही और वतन से दूर रक्खे कुल बलाओं को

    शरीक-ए-ज़िंदगी हूँ देश भारत के सिपाही की

    ज़बाँ-ज़द नाम-ए-नामी है मिरा हिम्मत में जुरअत में

    नहीं झांसी की रानी से मैं कम ‘अज़्म-ओ-शुजा’अ'त में

    नहीं हूँ 'ताहिरा' कम चाँद-सुल्ताना से 'इज़्ज़त में

    उठा सकती हूँ मैं तलवार भारत की हिमायत में

    शरीक-ए-ज़िंदगी हूँ देश भारत के सिपाही की

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