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नज़्म
खुल तो जाता है मुग़न्नी के बम-ओ-ज़ेर से दिल
न रहा ज़िंदा-ओ-पाइंदा तो क्या दिल की कुशूद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दुनिया की महफ़िलों से उक्ता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
निकला हूँ ख़ुद को ढूँडने इस का मगर है मुझ को ग़म
राह-ए-जुनूँ दराज़ है मेरा सफ़र क़दम क़दम
मीर यासीन अली ख़ाँ
नज़्म
फ़िक्र-ए-इंसाँ पर तिरी हस्ती से ये रौशन हुआ
है पर-ए-मुर्ग़-ए-तख़य्युल की रसाई ता-कुजा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
इलियास बाबर आवान
नज़्म
ऐ ख़ाक-ए-हिंद तेरी अज़्मत में क्या गुमाँ है
दरिया-ए-फ़ैज़-ए-क़ुदरत तेरे लिए रवाँ है
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
फ़स्ल-ए-बहार आई मगर हम हैं और ग़म
हर सम्त से हैं घेरे हुए सदमा-ओ-अलम