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नज़्म
अन-गिनत कहकशाओं के झुरमुट ने बे-इंतिहा दाएरे बुन दिए
और पाताल में जज़्ब रंगों ने उगले कई हलहले
इरफ़ान शहूद
नज़्म
है सावन की पहली झड़ी और ज़मीं अन-गिनत आँसुओं से धुली है
मगर एक मंज़र भी निखरा नहीं है
आरिफ़ा शहज़ाद
नज़्म
अन-गिनत लोगों ने दुनिया में मोहब्बत की है
कौन कहता है कि सादिक़ न थे जज़्बे उन के