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नज़्म
गुल से अपनी निस्बत-ए-देरीना की खा कर क़सम
अहल-ए-दिल को इश्क़ के अंदाज़ समझाने लगीं
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
कोई अंजुम आसमाँ का और सुबुक परवाज़-ए-शौक़
रहनुमा है क्या तिरा दिल-दादा-ए-अंदाज़-ए-शौक़
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
मुशाएरा ब-जुज़ अंदाज़-ए-हाव-हू क्या है
''तुम्हारे शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है''
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
जमील मज़हरी
नज़्म
अंदाज़-ए-दिल-फ़रेबी जो तुझ में है कहाँ है
फ़ख़्र-ए-ज़माना तू है और नाज़िश-ए-जहाँ है
तिलोकचंद महरूम
नज़्म
हुस्न भी ग़मज़ा-ओ-अंदाज़-ओ-अदा भूल गया
इश्क़ भी जल्वा-ए-रंगीं की ज़िया भूल गया