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नज़्म
तिरे लुत्फ़-ओ-अता की धूम सही महफ़िल महफ़िल
इक शख़्स था इंशा नाम-ए-मोहब्बत में कामिल
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
अपने गुलहा-ए-अक़ीदत पेश करती हूँ तुझे
मुख़्तसर ये है मोहब्बत पेश करती हूँ तुझे
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
सुकूत और शांति के हर क़दम पर फूल बरसाती
असीर-ए-काकुल-ए-शब-गूँ बना कर मुस्कुराती है
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
तुम्हें गुमाँ है कि ज़ौक़-ए-यक़ीं है वजह-ए-जुमूद
असीर-ए-क़ैद-ए-तिलिस्मात-ए-ईन-ओ-आँ तुम हो
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
कोई चाँदी का पुजारी कोई सोने का ग़ुलाम
आदमिय्यत को असीर-ए-सीम-ओ-ज़र पाता हूँ मैं
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
मगर लबों पे नग़्मा-ए-हयात शाद-काम है
रहीन-ए-आरिज़-ए-हसीं असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-मुश्कबू!
मोहसिन भोपाली
नज़्म
शहीद-ए-जौर-ए-गुलचीं हैं असीर-ए-ख़स्ता-तन हम हैं
हमारा जुर्म इतना है हवा-ख़्वाह-ए-चमन हम हैं