आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ba shola e ishq mir taqi mir ebooks"
नज़्म के संबंधित परिणाम "ba shola e ishq mir taqi mir ebooks"
नज़्म
मैं ने हर चंद ग़म-ए-इश्क़ को खोना चाहा
ग़म-ए-उल्फ़त ग़म-ए-दुनिया में समोना चाहा
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मुझ से मत पूछ ''मिरे हुस्न में क्या रक्खा है''
आँख से पर्दा-ए-ज़ुल्मात उठा रक्खा है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
फ़िरदौस-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ है दामान-ए-लखनऊ
आँखों में बस रहे हैं ग़ज़ालान-ए-लखनऊ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मिरी जाँ अब भी अपना हुस्न वापस फेर दे मुझ को
अभी तक दिल में तेरे इश्क़ की क़िंदील रौशन है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
गुलशन-ए-याद में गर आज दम-ए-बाद-ए-सबा
फिर से चाहे कि गुल-अफ़शाँ हो तो हो जाने दो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मिरे पहलू-ब-पहलू जब वो चलती थी गुलिस्ताँ में
फ़राज़-ए-आसमाँ पर कहकशाँ हसरत से तकती थी
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
वो सितारे जिन की ख़ातिर कई बे-क़रार सदियाँ
मिरी तीरा-बख़्त दुनिया में सितारा-वार जागीं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मिरे सरकश तराने सुन के दुनिया ये समझती है
कि शायद मेरे दिल को इश्क़ के नग़्मों से नफ़रत है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
और कुछ देर में जब फिर मिरे तन्हा दिल को
फ़िक्र आ लेगी कि तन्हाई का क्या चारा करे