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नज़्म
आमिर रियाज़
नज़्म
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
हर एक की निगाह में बस ख़ार हो गए
बे-सोंचे-समझे मुस्तहिक़-ए-दार हो गए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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हर एक की निगाह में बस ख़ार हो गए
बे-सोंचे-समझे मुस्तहिक़-ए-दार हो गए