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नज़्म
अब कहाँ वो कुंज-ए-दिल-कश अब कहाँ राधा का ऐश
है ब-रंग-ए-ख़ंदा-ए-गुल बे-बक़ा दुनिया का ऐश
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
तेरा चेहरा अर्ग़वानी तेरा दिल-ए-बे-आब-ओ-रंग
ज़िंदगी क्या है तिरी क़ानून से फ़ितरत के जंग
माहिर-उल क़ादरी
नज़्म
इक़बाल सुहैल
नज़्म
अब तो नहीं है कोई दुनिया में हम-सर उस के
अज़-माह-ताब-ए-माही बंदे हैं बे-ज़र उस के
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
न पूछो किस जहान-ए-रंग-ओ-बू से हो के आए हैं
जहाँ दिल से मता-ए-बे-बहा हम खो के आए हैं
नवाब सय्यद हकीम अहमद नक़्बी बदायूनी
नज़्म
फिर शबिस्तान-ए-तरब की राह दिखलाता है तू
मुझ को करना चाहता है फिर ख़राब-ए-रंग-ओ-बू