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नज़्म
हर सुब्ह-ए-गुलिस्ताँ है तिरा रू-ए-बहारीं
हर फूल तिरी याद का नक़्श-ए-कफ़-ए-पा है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
कम-बख़्त अजल थी ये जवानी की क़बा में
टुकड़े हैं किसी दिल के भी नक़्श-ए-कफ़-ए-पा में
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
दश्त-ए-जुनूँ सिमट के कफ़-ए-पा से जा मिला
मंज़िल लिपट के रह गई नक़्श-ए-क़दम के साथ
इस्मतुल्लाह इस्मत बेग
नज़्म
अब कहाँ वो कुंज-ए-दिल-कश अब कहाँ राधा का ऐश
है ब-रंग-ए-ख़ंदा-ए-गुल बे-बक़ा दुनिया का ऐश