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नज़्म
नीस्त पैग़मबर व-लेकिन दर बग़ल दारद किताब
क्या बताऊँ क्या है काफ़िर की निगाह-ए-पर्दा-सोज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हुक़्क़ा सुराही जूतियाँ दौड़ें बग़ल में मार
काँधे पे रख के पालकी हैं दौड़ते कहार
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
दूब की ख़ुश्बू में शबनम की नमी से इक सुरूर
चर्ख़ पर बादल ज़मीं पर तितलियाँ सर पर तुयूर
जोश मलीहाबादी
नज़्म
एक खंडर में तेज़ रौशनी चारों जानिब फैल रही है
बग़ल में लेटा साथी मेरा अब तक पब जी खेल रहा है
आसिम बद्र
नज़्म
जब पढ़ाई करते करते बोर हो जाता हूँ मैं
दाब कर बल्ला बग़ल में फ़ील्ड पर आता हूँ मैं
इनायत अली ख़ाँ
नज़्म
सुब्ह-दम बाद-ए-सबा की शोख़ियाँ काम आ गईं
लाला-ओ-गुल को बग़ल-गीरी का मौक़ा मिल गया