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नज़्म
जो आने वाले लम्हों की बाबत सोचती जाती है
सोचते सोचते उस की आँखें हो जाएँगी सेहर-ज़दा
साक़ी फ़ारुक़ी
नज़्म
तिरी ख़्वाहिश ने किस तश्कीक का मल्बूस पहना है
तिरी बाबत किसी से पूछने में ख़ौफ़ आता है
रियाज़ मजीद
नज़्म
क़दीमी गीत सुनने हैं पुराने दास्तानी भेद लेने हैं
दरख़्तों से नुमू-कारी की बाबत पूछना है
नसीर अहमद नासिर
नज़्म
दूर पहाड़ों के उस जानिब जलता सूरज रात के ख़ेमों में चुप बैठा
आने वाले कल की बाबत सोच रहा है
सलीम कौसर
नज़्म
उस में बस मुझ को बता मेरी ख़बर की बाबत
मत सुना ख़स्ता ज़मानों की शिकस्ता बातें
इलियास बाबर आवान
नज़्म
अली उल-हसनैन
नज़्म
हर चीज़ की बाबत पूछती है जाने कितनी मासूम है ये
हाँ इस पर रात को सोने से मीठी मीठी नींद आती है