आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "baak"
नज़्म के संबंधित परिणाम "baak"
नज़्म
गुज़री बात सदी या पल हो गुज़री बात है नक़्श-बर-आब
ये रूदाद है अपने सफ़र की इस आबाद ख़राबे में
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
बे-शक पढ़ाई है सवा और वक़्त है थोड़ा रहा
है ऐसी मुश्किल बात क्या मेहनत करो मेहनत करो
मोहम्मद हुसैन आज़ाद
नज़्म
'ज़ेहरा' ने बहुत दिन से कुछ भी नहीं लिक्खा है!
दीवानी नहीं इतनी जो मुँह में हो बक जाए
ज़ेहरा निगाह
नज़्म
मुश्तइल, बे-बाक मज़दूरों का सैलाब-ए-अज़ीम!
अर्ज़-ए-मश्रिक, एक मुबहम ख़ौफ़ से लर्ज़ां हूँ मैं
नून मीम राशिद
नज़्म
दरिया थिरक रहा है तो बन दे रहा है ताल
मैं अफ़्रीक़ा हूँ धार लिया मैं ने तेरा रूप
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ज़ीस्त का और मौत का इदराक दुनिया को न था
ज़ुल्म का एहसास जब बे-बाक दुनिया को न था
सीमाब अकबराबादी
नज़्म
वो सुनते रहते हैं बस हुक्म-ए-हाकिमान-ए-जहाँ
तवाफ़ करते हैं अर्बाब-ए-गी-ओ-दार के गिर्द