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नज़्म
ऐ भोली कलियों की साथी ऐ चंचल लहरों की रानी
इक बात मैं तुझ से कहता हूँ दानाई समझ या नादानी
सलाम संदेलवी
नज़्म
आ कि वाबस्ता हैं उस हुस्न की यादें तुझ से
जिस ने इस दिल को परी-ख़ाना बना रक्खा था
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
न जाने जब्र है हालत कि हालत जब्र है यानी
किसी भी बात के मअनी जो हैं उन के हैं क्या मअनी