आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "baazii-gar-e-mulk-e-adam"
नज़्म के संबंधित परिणाम "baazii-gar-e-mulk-e-adam"
नज़्म
तू जिस घर में रहे ख़ुशियाँ वहीं आबाद हो जाएँ
तू मुल्क-ए-नाज़-ओ-ने'मत की हो शहज़ादी मुबारक हो
मीर अंजुम परवेज़
नज़्म
गर कभी ख़ल्वत मयस्सर हो तो पूछ अल्लाह से
क़िस्सा-ए-आदम को रंगीं कर गया किस का लहू
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
बिन तेरे मुल्क-ए-हिन्द के घर बे-चराग़ हैं
जलते एवज़ चराग़ों के सीनों में दाग़ हैं
मोहम्मद हुसैन आज़ाद
नज़्म
हवा लहरों पे लिखती है तो पानी पर तहरीर करता है
कि हम फ़रज़ंद-ए-आदम की तरह सब नक़्श-गर हैं
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
बज़्म-गाह-ए-हुस्न में इक परतव-ए-फ़ैज़-ए-जमाल
सैद-गाह-ए-इश्क़ में है एक सैद-ए-ख़स्ता-हाल