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नज़्म
अख़्तर शीरानी
नज़्म
कौन पोंछेगा मिरे बहते हुए अश्कों की धार
कौन पानी पढ़ के देगा होगा जब मुझ को बुख़ार
शहनाज़ परवीन शाज़ी
नज़्म
लाखों चश्मे बहते हैं इस में लाखों नदियों वाला है
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है
हामिदुल्लाह अफ़सर
नज़्म
ये मुमकिन है कि दुनिया के समुंदर ख़ुश्क हो जाएँ
ये मुमकिन है कि दरिया बहते बहते थक के सो जाएँ