aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "banjar"
कोई निस्बत भी अब तो ज़ात से बाहर नहीं मेरीकोई बिस्तर नहीं मेरा कोई चादर नहीं मेरी
जब बंजर बन में आग जलेदिल दुखता है
कि उम्र भर के साथ कोवो बद-तर-अज़-हवस कहे
ज़ेहन अब भी चटयल हैंरूहें अब भी बंजर हैं
मीना का पुजारी कोई साग़र का पुजारीक़ब्रों का पुजारी कोई बंजर का पुजारी
ये दिल बंजर ज़मीं कोईतो क्या तुम फिर भी आओगे
बंजर काग़ज़ के सीने मेंख़ंजर बन जाना पड़ता है
और मिरे शहर-ए-तिलिस्मात की बे-दर आँखेंमिरी बे-दर मिरी बंजर मिरी पत्थर आँखें
ज़मीं बंजर जो हो जाएकरो तुम लाख सैराबी
बिजलियों की लकीरें चमकने लगींसारी बंजर ज़मीनें हरी हो गईं
बंजर हैं पथरीले हैंऔर कहीं बर्फ़ीले हैं
बंजर चेहरेजिन पर
ऐ सुब्ह-ए-वतन ऐ सुब्ह-ए-वतनऐ रूह-ए-बहार ऐ जान-ए-चमन
बंजर पामाल ज़मीनों मेंकुछ फूल खिलाना चाहता है
साथ बहुत कुछ लूट गयावो देख रहे हो बंजर तिल
बंजर मौसमों की सलाईयाँ फेर दींलफ़्ज़ों ने मुझे धोका दिया
भीगे साहिलों की हवा में ख़ून ही ख़ून थाझीलों के आबाद किनारे मुझे बंजर कर गए
खुरदुरी सख़्त बंजर ज़मीनों में क्या बोइए और क्या काटिएआँख की ओस के चंद क़तरों से क्या इन ज़मीनों को सैराब कर पाओगे
ग़रज़ की तुंद हवाओं ने कर दिया बंजरवफ़ा की किश्त को ईसार की ज़मीनों को
गुलज़ारों मेंया बंजर रेगिस्तानों में
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