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नज़्म
सजीला था गुल आप के बाग़ का सब से वो शैख़ साहब
गया वो गई बज़्म-ए-याराँ की रौनक़ गई उस की ख़ुश्बू
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
तारिक़ क़मर
नज़्म
बज़्म-ए-अंजुम की हर एक तनवीर धुँदली हो गई
रख दिया नाहीद ने झुँझला के हाथों से सितार
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
वो राज़-दार-ए-महफ़िल-ए-याराँ नहीं रहा
वो ग़म-गुसार-ए-बज़्म-ए-अरीफ़ाँ चला गया
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
'इलाज-ए-तंगी-ए-दामान-ए-याराँ चाहता हूँ मैं
निफ़ाक़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ को गुरेज़ाँ चाहता हूँ मैं
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
नज़्म
दर्द-ओ-ग़म हल्क़ा-ए-ज़ंजीर दर-ओ-बाम-ए-क़फ़स
कल जो चुभते थे वही ख़ार सदा देते हैं
अयाज़ बिलग्रामी
नज़्म
ये न साक़ी हो तो फिर मय भी न हो ख़ुम भी न हो
बज़्म-ए-तौहीद भी दुनिया में न हो तुम भी न हो