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नज़्म
कितनी सदियों से ये वहशत का चलन जारी है
कितनी सदियों से है क़ाएम ये गुनाहों का रिवाज
साहिर लुधियानवी
नज़्म
घर-बार अटारी चौपारी क्या ख़ासा नैन-सुख और मलमल
चलवन पर्दे फ़र्श नए क्या लाल पलंग और रंग-महल
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
अपनी सोई हुई दुनिया को जगा लूँ तो चलूँ
अपने ग़म-ख़ाने में इक धूम मचा लूँ तो चलूँ
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
तंग-दस्ती में भी छोड़ा न वफ़ा का दामन
मुफ़्लिसी में भी न अपनाए ख़ुशामद के चलन
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
नज़्म
सिगरेट से जो सुने पान ने ये तल्ख़ सुख़न
बोला ख़ामोश कि अच्छा नहीं हासिद का चलन
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ज़माने की हवा बदली उधर रंग-ए-चमन बदला
गुलों ने जब रविश बदली अनादिल ने वतन बदला
सय्यद तसलीम हैदर क़मर
नज़्म
कुछ हो गया ज़माना का उल्टा चलन यहाँ
हुब्ब-ए-वतन के बदले है बुग़ज़-उल-वतन यहाँ