आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "champi-e-ra.ng"
नज़्म के संबंधित परिणाम "champi-e-ra.ng"
नज़्म
सेहन-ए-चमन पर भौउँरों के बादल एक ही पल को छाएँगे
फिर न वो जा कर लौट सकेंगे फिर न वो जा कर आएँगे
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
अपने ही ज़ौक़-ए-तबस्सुम में गिरफ़्तार-ओ-असीर
ज़र्द चेहरे पे मिले ग़ाज़ा-ए-गुल-ए-रंग की धूल
फ़रीद इशरती
नज़्म
क़ाफ़िले क़ामत ओ रुख़्सार ओ लब ओ गेसू के
पर्दा-ए-चश्म पे यूँ उतरे हैं बे-सूरत-ओ-रंग
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
तेरा चेहरा अर्ग़वानी तेरा दिल-ए-बे-आब-ओ-रंग
ज़िंदगी क्या है तिरी क़ानून से फ़ितरत के जंग
माहिर-उल क़ादरी
नज़्म
तू ज़मीन-ए-रंग-ओ-बू, तू आसमान-ए-रंग-ओ-बू
मुख़्तसर ये है कि तू है इक जहान-ए-रंग-ओ-बू
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
मुझ को एहसास-ए-फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू होता रहा
मैं मगर फिर भी फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू खाता रहा