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नज़्म
गर्दिश-ए-दौराँ ने जब उस को आह शिकस्ता-हाल किया
देख कर उस के हाल-ए-ज़बूँ को तू ने कुछ न मलाल किया
अली मंज़ूर हैदराबादी
नज़्म
ज़मीं पर लेक्चरर कुछ तैरते फिरते नज़र आए
और उन की ''गाऊन'' से कंधों पे दो शहपर नज़र आए
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
दरस-ए-सुकून-ओ-सब्र ब-ईं एहतिमाम-ए-नाज़
निश्तर-ज़नी-ए-जुम्बिश-ए-मिज़्गाँ लिए हुए