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नज़्म
है दसहरा यादगार-ए۔अज़्मत۔ए۔हिन्दोस्ताँ
हिंदुओं की इक क़दीमी फ़त्ह-ओ-नुसरत का निशाँ
मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
नज़्म
मक़ाम-ए-अज़्मत-ए-इंसाँ को तू ने फ़ाश किया
जुमूद-बस्ता ग़ुलामी को पाश-पाश किया
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
दोस्तो आगे बढ़ा जम्हूरियत का कारवाँ
आज ज़िंदा हो गई है 'अज़्मत-ए-हिन्दोस्ताँ
अज़मत अब्दुल क़य्यूम ख़ाँ
नज़्म
ख़ुलूस-ए-कार से मिलती है ज़िंदगी 'अज़्मत'
ख़ुलूस-ए-कार को रहबर बनाएँगे हम लोग
अज़मत अब्दुल क़य्यूम ख़ाँ
नज़्म
बहर-आलम सलीक़े अज़्म-ओ-हिम्मत का सिखाता है
बहर-सूरत जमाल-ए-अज़्मत-ए-हस्ती दिखाता है
कमाल हैदराबादी
नज़्म
ये बज़्म-ए-ख़्वाब-ए-सरसय्यद ये नक़्श-ए-अज़्मत-ए-रफ़्ता
मय-ए-ईसार से लबरेज़ है इक जाम-ए-नूरानी
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
नज़्म
मिरे जज़्बात की देवी मिरे अशआर की मलका
वो मलका जो ब-रंग-ए-अज़्मत-ए-शाहाना रहती थी