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नज़्म
कहाँ का सावन कहाँ की चतरी कहाँ के दोहे कहाँ की पुर्वा
मैं सात रंगों को किस पे फेंकूँ
शाइस्ता हबीब
नज़्म
जिस में सदियों के तहय्युर के पड़े हों डोरे
क्या तुझे रूह के पत्थर की ज़रूरत होगी
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे
कब तक चैन की मोहलत दोगे कब तक याद न आओगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मेहनत जो की जी तोड़ कर हर शौक़ से मुँह मोड़ कर
कर दोगे दम में फ़ैसला मेहनत करो मेहनत करो
मोहम्मद हुसैन आज़ाद
नज़्म
जब उड़ेगी उन की चश्म-ए-दाम-ए-परवरदा में ख़ाक
नर्म डोरे तेरी आँखों के रहेंगे ताबनाक
जोश मलीहाबादी
नज़्म
इस ज़ियाँ-ख़ाने में कोई मिल्लत-ए-गर्दूं-वक़ार
रह नहीं सकती अबद तक बार-ए-दोश-ए-रोज़गार