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नज़्म
शहाब जाफ़री
नज़्म
क़दम बोसों के भयानक ग़ोल को जो दीमक-ओ-जरासीम की सूरत
निज़ाम-ए-फिक्र-ओ-फ़न बरबाद करता है
अबु बक्र अब्बाद
नज़्म
वो शख़्स मेरे मन का मिरे ज़ेहन का जमाल
वो शख़्स मेरी जान-ए-ग़ज़ल जान-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न
मुस्लिम शमीम
नज़्म
ख़याल-ओ-फ़िक्र-ए-ख़ूबाँ से नहीं अब मुझ को दिलचस्पी
कि उन से ज़ेहन-ओ-दिल के सारे नाते तोड़ आया हूँ
अख़तर बस्तवी
नज़्म
ऐ कि दिल तेरा है फ़िक्र-ए-बादा-ए-गुलफ़ाम में
ज़हर भी होता है अक्सर ख़ूबसूरत जाम में
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
दिखा सकती हैं ये तक़्दीस की दुनिया-ए-ना-पैदा
जहाँ पर फ़िक्र-ओ-फ़न उज़्लत-नशीं की ख़ान-क़ाहें हैं
मुनीबुर्रहमान
नज़्म
मिरी नज़र में हैं जब हुस्न के तमाम अंदाज़
मैं फ़न भी देखता हूँ फ़िक्र-ओ-फ़न भी देखता हूँ