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नज़्म
दुनिया-ए-तदब्बुर में थी यकता-ए-ज़माना
हाथ उस के थे और उन में हुकूमत की इनाँ थी
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
अन-पढ़ था और जाहिल क़ाबिल मुझे बनाया
दुनिया-ए-इल्म-ओ-दानिश का रास्ता दिखाया
अहमद हातिब सिद्दीक़ी
नज़्म
हाँ अभी दुनिया-ए-ज़ब्त-ए-शौक़ का हूँ शहरयार
हाँ अभी तुझ पर नहीं मेरी तबाही का मदार