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नज़्म
मेरी फ़रियाद-ए-जिगर-दोज़ मिरा नाला-ए-ज़ार
शिद्दत-ए-कर्ब में डूबी हुई मेरी गुफ़्तार
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
कैलाश माहिर
नज़्म
हाँ पस-अज़-फ़रियाद-ओ-क़ल्ब-ए-दहर की लर्ज़िश के बा'द
दिन की तुम आलूद-ज़र्द-ओ-लाला-गूँ काविश के बा'द
मीराजी
नज़्म
सुन कर ज़बाँ से माँ की ये फ़रियाद-ए-दर्द-ख़ेज़
उस ख़स्ता-जाँ के दिल पे चली ग़म की तेग़-ए-तेज़
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
क़हत उस पर क़त्ल-ओ-ग़ारत का ये आलम हाए हाए
हर तरफ़ है नाला-ओ-फ़रियाद-ओ-मातम हाए हाए
सरीर काबिरी
नज़्म
बुनियाद-ए-ग़ुरूर-ओ-किब्र-ओ-अना को ठोकर से ढा देती है
तदबीर की आख़िर नाकामी तक़दीर को मनवा देती है
सरीर काबिरी
नज़्म
बरहना तेग़ों ने सारे मंज़र बदल दिए हैं
फ़सील-ए-क़स्र-ए-अना के नीचे वफ़ा की लाशें पड़ी हुई हैं
तारिक़ क़मर
नज़्म
फ़रियाद-ओ-नाला करते हैं दिन रात वो मगर
मुमकिन नहीं कि कानों तक उस के पहुँच सके
अज़ीमुद्दीन अहमद
नज़्म
दीदा-ए-शौक़ न होगा तिरी जानिब निगराँ
अब न आएगी लबों तक मिरे फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
गेसू-ए-शाम से लिपटी हुई ग़म की ज़ंजीर
सीना-ए-शब से निकलती हुई फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ