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नज़्म
सो फ़ौरन बिन्त-ए-अशअश का पिलाया पी गया होगा
वो इक लम्हे के अंदर सरमदिय्यत जी गया होगा
जौन एलिया
नज़्म
यहाँ तुम आओ यहाँ कोई तुम को देख पाए नहीं ये मुमकिन
यहाँ किरन आई तो वो फ़ौरन अंधेरे कमरे में जा छुपेगी
मीराजी
नज़्म
न झुँझलाती हैं वो मुझ पर न ग़ुस्सा ही दिखाती हैं
जो मुझ को डाँटती भी हैं तो फ़ौरन मुस्कुराती हैं
अबुल मुजाहिद ज़ाहिद
नज़्म
गया तो हम तुम्हें फ़ौरन बुला लेंगे चले जाओ''
(अगर मर जाऊँ मैं तो सब्र कर लेना... ख़ुदा-हाफ़िज़)
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
नज़्म
फिर मशरिक़ के साज़ों पर मग़रिब की धन हो जाती है
जब ब्वॉय-फ़्रैंडज़ पिला देते हैं फ़ौरन टुन हो जाती है
खालिद इरफ़ान
नज़्म
अगर पूछे कोई क्या क़ाफ़िया है आप का फु्प्पी
तो फ़ौरन सामने रख दूँगा ला कर तेल की कुप्पी
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
इंतिहा की चिड़ है मुझ को दो दिलों के क़ुर्ब से
देखता हूँ जब ये फ़ौरन जाल फैलाता हूँ मैं