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नज़्म
लब-ए-तिश्ना पे इक ज़हर-ए-हक़ीक़त का फ़साना है
अजब फ़ुर्सत मयस्सर आई है ''दिल जान रिश्ते'' को
जौन एलिया
नज़्म
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
अब फ़ुर्सत-ए-नाव-नोश कहाँ अब याद न आओ रहने दो
तूफ़ान में रहने वालों को ग़ाफ़िल न बनाओ रहने दो
आमिर उस्मानी
नज़्म
जिस दिन बड़े तुम हो गए दुनिया के धंदों में फँसे
पढ़ने की फिर फ़ुर्सत कुजा मेहनत करो मेहनत करो
मोहम्मद हुसैन आज़ाद
नज़्म
ग़म-ए-दौराँ से जब भी फ़ुर्सत-ए-यक-लम्हा पाएँगे
तिरी यादों में खो जाएँगे ख़ुद को भूल जाएँगे