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नज़्म
मस्जिदें भी हैं मनादिर भी हैं गिरिजा-घर भी
निकहत-ओ-नूर में डूबा हुआ हर मंज़र भी
अमीर अहमद ख़ुसरव
नज़्म
जिस ने हर दाम में आने में तकल्लुफ़ बरता
ले उड़ी है उसे ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर अब के
साहिर लुधियानवी
नज़्म
टूट कर चाँद गिरा ग़ार-ए-सियह में आँखें
बुझ गईं महफ़िल-ए-अंजुम की सुबुक-रौ शमएँ
अली अब्बास उम्मीद
नज़्म
मिट्टी के सब रंग अनोखे सब दीवाने मिट्टी के
मिट्टी के सब खेल खिलाड़ी नए पुराने मिट्टी के
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
हाँ ऐ मसाफ़-ए-हस्ती! मत पूछ मुझ से क्या हूँ
इक अर्सा-ए-बला हूँ इक लुक़मा-ए-फ़ना हूँ