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नज़्म
सय्यद ज़मीर जाफ़री
नज़्म
तू ने तो मुझ को देखा है
मैं वो गूँगा चाँद हूँ जिस से तू ने हमेशा अपने दिल की बात कही है
राही मासूम रज़ा
नज़्म
टिकियाँ ये आलूओं की इस पर मज़े के छोले
लज़्ज़त जो उन की पाए गूँगा ज़बान खोले
अब्दुल मतीन नियाज़
नज़्म
मुज़्तरिब-बाग़ के हर ग़ुंचे में है बू-ए-नियाज़
तू ज़रा छेड़ तो दे तिश्ना-ए-मिज़राब है साज़