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नज़्म
अफ़्रीक़ा में न होगा फ़र्क़-ए-सपेद-ओ-असवद
लाएगी रंग ख़ूनीं तक़रीर गोखले की
ज़ाहिदा ख़ातून शरवानिया
नज़्म
फ़र्दा महज़ फ़ुसूँ का पर्दा, हम तो आज के बंदे हैं
हिज्र ओ वस्ल, वफ़ा और धोका सब कुछ आज पे रक्खा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
हैं अभी अहद-ए-ग़ुलामी की वो फ़र्सूदा रुसूम
हद-ए-तहज़ीब-ओ-तमद्दुन से हर एक आउट है
अस्ताद रामपुरी
नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
सब गलियों में तरनजन थे और हर तरनजन में सखियाँ थीं
सब के जी में आने वाली कल का शौक़-ए-फ़रावाँ था
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
हर इक बज़्म-ए-सुख़न में गो मुझे बुलवाया जाता है
जो हैं बे-ज़ौक़ उन को भी मुझे सुनवाया जाता है
असद जाफ़री
नज़्म
अज़िय्यत-नाक उस गाड़ी का अंदाज़-ए-रवानी है
बड़ी दिल-दोज़ उस के हर मुसाफ़िर की कहानी है
असद जाफ़री
नज़्म
जुदा मेरी क़यास-आराई से हर अहल-ए-फ़न निकला
मैं जिस को रेश्माँ समझता था वो मेहदी-हसन निकला
असद जाफ़री
नज़्म
जो ज़िंदा रहने को आए वो कैसे हो बर्बाद
'असद' लगाओ ये ना'रा कि उर्दू ज़िंदाबाद
असद अहमद मुजद्ददी असद
नज़्म
ताज हुस्न-ओ-इश्क़ का है ऐसा इक रंगीन ख़्वाब
पेश करना ग़ैर मुमकिन है 'असद' जिस का जवाब
असद अहमद मुजद्ददी असद
नज़्म
बज़्म-ए-अंजुम की हर एक तनवीर धुँदली हो गई
रख दिया नाहीद ने झुँझला के हाथों से सितार
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
तितलियाँ अपने परों पर पा के क़ाबू हर तरफ़
सेहन-ए-गुलशन की रविश पर रक़्स फ़रमाने लगीं